हिन्दी उपन्यास का विकास


हिन्दी उपन्यास का विकास

चतुर्थ-उत्थान : आधुनिकता बोध के उपन्यास

  • प्रभाकर माचवे प्रयोगवादी कवि उपन्यासकार हैं। इनके उपन्यास निम्न हैं-
  • उपन्यास वर्ष उपन्यास वर्ष
    (1) परन्तु 1940 (8) अनदेखी
    (2) एकतारा 1952 (9) दर्द के पैबंद 1974
    (3) साँचा 1956 (10) द्यूत 1976
    (4) द्वाभा 1957 (11) किसलिए 1975
    (5) जो 1964 (12) आँख मेरी बाकी उनक 1983
    (6) किशोर 1969 (13) लापता 1984
    (7) तीस चालीस पचास 1973
  • सर्वेश्वरदयाल सक्सेना कवि उपन्यासकार हैं। इनके उपन्यास हैं-
  • उपन्यास वर्ष विषयवस्तु
    सोया हुआ जल 1954 एक प्रतीकात्मक उपन्यास
    पागल कुत्तों का मसीहा 1977 कुत्तों के प्रतीक में रूढ़ जीवन मूल्यों का चित्रण
    सूने चौखट 1981 बालक के स्वभाव का चित्रण
  • कमलेश्वर हिन्दी के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण उपन्यासकार हैं। इनकी कृतियाँ हैं-
  • उपन्यास वर्ष विषयवस्तु
    एक सड़क सत्तावन गलियाँ 1957 लीला-नौटंकी करके जीविकोपार्जन करने वाले समाज का चित्रण
    डाक बंगला 1959 मातृहीन कथानायिका 'इरा' की संघर्ष कथा का चित्रण
    लौटे हुए मुसाफिर 1961 साम्प्रदायिक समस्या का चित्रण
    समुद्र में खोया हुआ आदमी 1967 क्लर्क श्यामलाल, उनकी पुत्री तारा, पुत्र वीरन की कथा
    काली आँधी 1974 स्त्री के राजनीतिक और पारिवारिक दायित्व एवं द्वंद्व का चित्रण
    आगामी अतीत 1976
    तीसरा आदमी 1976 मध्यवर्गीय दम्पति के बीच तीसरे व्यक्ति के प्रवेश की कहानी
    वही बात 1980 मध्यवर्गीय स्त्री की विसंगति एवं भटकाव का चित्रण
    सुबह दोपहर शाम 1982 स्वतंत्रता संग्राम में क्रन्तिकारी दल की भूमिका का चित्रण
    रेगिस्तान 1988 आदर्शों के टूटने का मार्मिक चित्रण
    कितने पाकिस्तान 2000
  • अभिमन्यु अनत मारीशस के हिन्दी उपन्यासकार हैं, इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-
  • उपन्यास वर्ष उपन्यास वर्ष
    (1) नदी बहती रही 1970 (8) शेफाली 1979
    (2) आन्दोलन 1971 (9) हड़ताल कब होगी 1979
    (3) एक बीघा प्यार 1972 (10) अपनी ही तलाश 1982
    (4) जम गया सूरज 1973 (11) अपनी-अपनी सीमा 1983
    (5) तपती दोपहरी 1977 (12) गाँधी जो बोले थे 1984
    (6) लाल पसीना 1977 (13) लहरों की बेटी 1995
    (7) कुहासे का दायरा (1978) (14) एक उम्मीद और
  • अभिमन्यु अनत प्रथम विदेशी हिन्दी लेखक हैं जो अपने देश के सम्बन्ध में हिन्दी भाषा में उपन्यास लिखते हैं। इन्हें मारीशस का प्रेमचंद्र कहा जाता है।
  • श्रवण कुमार गोस्वामी ने निम्नांकित औपन्यासिक कृतियों की रचना की है-
  • उपन्यास वर्ष विषयवस्तु
    जंगल तंत्रम 1979 लोकतंत्र की असलियत का चित्रण
    सेतु 1981
    भारत बनाम इण्डिया 1983 समकालीन भारत के गाँवों की पीड़ा का चित्रण
    दर्पण झूठ न बोले 1983 समकालीन समाज में फैले आर्थिक-राजनीतिक भ्राष्टाचार का चित्रण
    राहुकेतु 1984 एक ईमानदार व्यक्ति और भ्रष्ट समकालीन राजनीति का चित्रण
    मेरे मरने के बाद 1985 हिन्दी लेखक की नियति का चित्रण
    चक्रव्यूह 1988 विश्वविद्यालय परिसर की वास्तविकताओं का अंकन
    आदमखोर 1992
    एक टुकड़ा सच 1992
    हस्तक्षेप 2002
    कहानी एक नेताजी की 2005
  • मनोहरश्याम जोशी किस्सागो के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके उपन्यास निम्नांकित है-
  • उपन्यास वर्ष विषयवस्तु
    करू करू स्वाहा 1980 बम्बई महानगर के फ़िल्म जगत के यथार्थ का चित्रण
    कसप (क्या जाने?) 1987 एक प्रेम कथा
    हरि या हरक्यूलीज की हैरानी 1994 कुमायूँ गढ़वाल क्षेत्र के जन-जीवन का चित्रण
    टा-टा प्रोफेसर 1995 एक स्कूल शिक्षक के व्यंग्य चित्र का अंकन
    हमजाद 1996 बाजारवादी प्रवृत्ति का चित्रण
    क्याप (अजीब) कूर्मांचल के वाल्मीकि नगर की कहानी 2001 कूर्मांचल के वाल्मीकि नगर की कहानी
    कौन हूँ मैं ? 2006 प्रसिद्ध भुवाल सन्याल के केस पर आधारित।